त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु अब संकट भारी ॥ कहे अयोध्या आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥ जो यह https://shivchalisas.com